महानुभावों! भगवान् महावीर जब शिशु अवस्था में एक दिन कुण्डलपुर के नन्द्यावर्त महल में पालना झूल रहेंथे, तब एक दिन आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धि धारी मुनिराज वहां आ गए। महावीर को देखते ही उनके मन की शंका का समाधान हो गया , अतः उन्होंने तीर्थंकर शिशु का नाम रख दिया- सन्मति ।
उन सन्मति भगवान् के दर्शन से सभी को अच्छी बुद्धि प्राप्त होती है।
आर्यिका चंदनामती
Tuesday, April 27, 2010
Friday, January 15, 2010
Thursday, January 14, 2010
तीर्थ हस्तिनापुर की महिमा
भगवान् शांतिनाथ का जन्म हस्तिनापुर में हुआ था। और उन्होंने चक्रवर्ती बन कर यहीं छः खंड का राज्य संचालित किया था। पुनः सम्पूर्ण राज्य वैभव का त्याग करके जैनेश्वरी दीक्षा धारण की और तपस्या करके केवलज्ञान प्राप्त किया । आयु के अंत में समस्त कर्मों को नष्ट करके सम्मेद शिखर पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया ।
उन प्रभु शांतिनाथ की ३१ फिट उत्तुंग प्रतिमा जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर में विराजमान हुई हैं, उनके दर्शन करके पुण्य का अर्जन करें।
गणिनी ज्ञानमती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
उन प्रभु शांतिनाथ की ३१ फिट उत्तुंग प्रतिमा जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर में विराजमान हुई हैं, उनके दर्शन करके पुण्य का अर्जन करें।
गणिनी ज्ञानमती
जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर
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