महानुभावों! भगवान् महावीर जब शिशु अवस्था में एक दिन कुण्डलपुर के नन्द्यावर्त महल में पालना झूल रहेंथे, तब एक दिन आकाश मार्ग से दो चारण रिद्धि धारी मुनिराज वहां आ गए। महावीर को देखते ही उनके मन की शंका का समाधान हो गया , अतः उन्होंने तीर्थंकर शिशु का नाम रख दिया- सन्मति ।
उन सन्मति भगवान् के दर्शन से सभी को अच्छी बुद्धि प्राप्त होती है।
आर्यिका चंदनामती
Tuesday, April 27, 2010
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